दिलीप सिंह की रिपोर्ट
लोकसभा चुनावों में मध्य प्रदेश की 29 में से 29 सीटों पर भाजपा का क्लिन स्विप का सपना इस साल 2024 के चुनाव में अधूरा रह सकता है ! प्राप्त जानकारियों और लोगों की राय व सर्वे के आधार पर इस लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में भाजपा 29 की 29 सीटे जीते इस पर प्रश्नवाचक लग गया है।
सूत्रों की व जनता की राय मानें तो भाजपा भले ही मध्य प्रदेश में कांग्रेस के कई नेताओं को व पार्टी कार्यकर्ताओं को कांग्रेस से भाजपा में प्रवेश दिला चुकी है लेकिन उसके बावजूद उसे इन नेताओं के वोट और इनके प्रयासों का पूरा पूरा फायदा मिलेगा या नहीं यह कहना मुश्किल ही है। दूसरी और पहले चरण में हुए मतदान में मतदान प्रतिशत का कम रहना भी कहीं ना कही भाजपा की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
छिंदवाड़ा में भाजपा ने कमलनाथ व नकुल नाथ को घेरने का पूरा प्रयास किया और इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन मतदान के बाद यह कयास लगाये जा रहे है कि नकुल नाथ भाजपा के इतने प्रयासों के बाद भी भारी पड़ सकते है। भाजपा के बंटी साहू के लिये यह सीट जितना आसान नहीं है। दूसरी और राजगढ़ लोकसभा सीट से लगभग 30 सालों के अंतराल से पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्गी राजा के चुनाव मैदान में आने से भाजपा के रोडमल नागर के लिये रास्ता चुनौती पूर्ण हो गया है, यहां पर दिग्विजय सिंह काफी वजनदार नेता है और इस संसदीय सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला कांटे का हो गया है। इसी तरह से रतलाम संसदीय सीट पर कांग्रेस के आदिवासी नेता व पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया के मैदान में आने से मुकाबला रोचक हो गया है। कांतिलाल भूरिया को जिताने के लिये विधायक पुत्र डॉ. विक्रांत भूरिया एड़ी चोटी का जौर लगा रहे है तो अनिता नागर सिंह चौहान को जिताने के लिये प्रदेश के वन मंत्री और उनके पति नागरसिंह रात दिन एक किये हुए है।
मध्य प्रदेश की आदिवासी सीट मंडला में भी केंद्रीय मंत्री कुलस्ते के लिये राह आसान नहीं है, इसी प्रकार से अगर धार संसदीय सीट पर कांग्रेस मजबूती से लडे तो यहां पर भी मुकाबला कांटे का हो सकता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है की इस लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिये कमलनाथ, दिग्गी राजा और कांतिलाल भूरिया के रहते 29 में से 29 सीटें जीत कर क्लिन स्विप करना आसान नहीं होगा। हालांकी अंतिम परिणाम तो 4 जून को रिजल्ट आने के बाद ही पता चलेगा।
इस बार के लोकसभा चुनावों में पहले चरण के मतदान में पूरे देश में 21 राज्यों का वोटिग प्रतिशत देखें तो 7 राज्यों ने 70 प्रतिशत से अधिक, 7 राज्यों ने 60 प्रतिशत से अधिक और 7 राज्यों ने 50 प्रतिशत मतदान हुआ है। इस प्रकार से 21 राज्यों में हुए 102 सीटों के लिये मतदान प्रतिशत ने सभी पार्टीयों का राजनैतिक गुणा भाग बिगाड़ दिया है। किसे कम या ज्यादा सीटे मिलेगी यह कहना कठिन हो गया है। इसलिये अब भाजपा ने भी अपनी रणनीति बदली है और स्वयं प्रधानमंत्री अपने भाषणों में अधिक मतदान की अपिल करते दिखाई पड़ रहे है। आने वाले समय में गर्मी अपना और अधिक सितम ढहाऐगी ऐसे में लोग मतदान के लिये कितना समय निकल पायेगें! यह समय ही बतायेगा। लेकिन 5 से 10 प्रतिशत तक का मतदान पहले चरण में कम होना राजनैतिक दलों के लिये और भारत के भविष्य के लिये कहीं न कहीं चिंता का विषय बना है। आने वाले दिनों में होने वाले मतदान में अधिक से अधिक संख्या में लोग मतदान करें ऐसी अपिल हम भी मतदाताओं से करते है।