इंदौर-दाहोद रेल्वे लाईन 2027-28 तक पूरी होने की उम्मीद! आदिवासी अंचल को लगे उम्मीदों के नये पंख!


✎ दिलीप सिंह

झाबुआ। मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य झाबुआ, धार में रेल लाईन पहूंचने की उम्मीदे जाग गई है। जिसके चलते इन आदिवासी अंचलों में विकास की गति बढ़ने की संभावनाऐं भी प्रबल हो गई है। ज्ञातव्य है कि फरवरी 2008 में तत्कालिन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इंदौर-दाहोद एवं छोटा उदयपुर-धार रेल लाईन परियोजना का उदघाटन किया था। लेकिन कांग्रेस सरकार इस परियोजना का काम तिव्र गति से प्रारंभ नहीं कर पाई। फलस्वरूप यह परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई। लेकिन लगातार प्रयासों के चलते 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेन्द्र मोदी ने झाबुआ की सभा में इस परियोजना को लेकर इसे पुन: प्रारंभ करने की बात कही, लेकिन उसके बाद कोरोना काल में एक बार फिर से यह परियोजना होल्ड पर रख दी गई। लेकिन अब लगातार पिछले दो-तिन सालों से परियोजना पर रेल्वे प्रशासन ध्यान दे रहा है वहीं इसके लिये पर्याप्त बजट का आवंटन भी किया जा रहा है।

रेल विभाग के अनुसार इस रेल लाईन की लंबाई 204.67 किमी है। तथा इसके अंतर्गत 41 बड़े पल पुलिया एवं 290 छोटे अंडरपास व ओवर पास शामिल है। झाबुआ जिले में पिटोल, झाबुआ, फतेहपुरा, अमलवानी और पानपुरा रेल्वे स्टेशन बनाये जाना है। इस परियोजना के लिये विगत साल दो बार में 1158 करोड़ एवं इस साल के बजट में 503.75 करोड रू. की बजट राशि आवंटीत की गई है। रेल विभाग ने इस परियोजना को पूर्ण करने के लिये साल 2028 तक की समय सिमा तय की थी। लेकिन अब उज्जैन सिंहस्थ को देखते हुए तथा पर्याप्त बजट राशि आवंटन के चलते इस परियोजना को 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। रेल विभाग ने झाबुआ से आगे रंगपुरा से लेकर धार जिले के तिरला तक जमीनों के अधिग्रहण का काम तेज कर दिया है और इसके लिये किसानों को नोटिस दिये गये है। ताकि मुआवजा दिया जा सके।

इस परियोजना की लागत 1640.04 करोड थी जोकि अब बढ़कर 2873.11 करोड़ पर पहूंच गई है। 204.67 किमी में से 32.3 किमी का काम पूर्ण हो चुका है। जहां पर रेल चलाई जा सकती है। गुजरात के कतवारा से झाबुआ के बिच में तथा पीथमपुर से धार के बिच में काम चल रहा है। तिरला से झाबुआ के बिच में जमीन अधिग्रहण का काम नहीं हुआ है। अब इसी तरफ तेजी से जमीन अधिग्रहण कर मुआवजा बांटने की और ध्यान दिया जा रहा है। गुजरात के कतवारा से लेकर झाबुआ तक रेल लाईन बिछाने का काम एवं ब्रिज बनाने का काम काफी हद तक पूरा हो चुका है, झाबुआ रेल्वे स्टेशन भी लगभग बनकर तैयार है। अगर रेल्वे विभाग पूरा ध्यान रखकर इस परियोजना पर काम करेगा तो दो साल के अंदर यह परियोजना पूरी हो सकती है।

धार जिले के पिथमपुर में टिही टनल बनाने का काम अंतिम चरण में है 2.95 किलो मिटर टनल का अधिकांश हिस्सा बनकर तैयार है। जुलाई से इस पर रेल पटरियां बिछाने का काम शुरू हो जायेगा, धार में भी ओव्हर ब्रिज बनाने एवं पटरियां बिछाने का काम चल रहा है। गुरूवार को पश्मि रेल्वे के चीफ पब्लिकरिलेशन अधिकारी, सीपीआरओ, खेमराज मीना, पीआरओ, विनित अभिशेक ने टनल का निरीक्षण किया। विनित अभिषेक चीफ पब्लिक रिलेशन आफिसर पश्चिम रेल्वे ने बताया की टनल का अधिकांश हिस्सा पूरा कर लिया गया है। यह इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी टनल है और दिसबंर तक इसे पूरा कर लिया जायेगा। आपने कहा की इंदौर-दाहोद रेल्वे प्रोजेक्ट पूरा होने पर आदिवासी अंचल को काफी फायदा पहूंचेगा।

झाबुआ, धार, आलिराजपुर में रेल प्रोजेक्ट को लेकर आदिवासी अंचल में बड़ा उत्साह है आलिराजपुर में छोटा उदयपुर से आलिराजपुर तक रेल संचालन प्रारंभ हो चुका है और आलिराजपुर से जोबट तक रेल लाईन बिछाने का काम भी हो गया है। इस रेल लाईन को धार तक लाकर जोड़ा जायेगा। अब धार और झाबुआ के बिच भी रेल लाईन को लेकर रेल्वे ने काम की गति को बढ़ा दिया है ऐसे में उम्मीद है कि 2028 सिंहस्थ के पहले इस परियोजना को पूर्ण कर लिया जायेगा।

इंदौर-दाहोद एवं छोटा आलिराजपुर रेल परियोजनाओं के पूरा होने पर इस का पूरा पूरा राजनैतिक लाभ भी भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा ऐसे मेें झाबुआ-आलिराजपुर-रतलाम संसदीय सीट और धार संसदीय सिट तथा विधानसभा चुनावों में धार, झाबुआ और आलिराजपुर आदिवासी विधानसभा सिटों पर भी भाजपा को बढ़त मिलने की संभावना रहेगी।
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