संपादक, दिलीप सिंह वर्मा
उज्जैन। मध्यप्रदेश के तिर्थस्थल उज्जैन मेें भगवान महाकालेश्वर मंदिर परिसर में पिछले साल प्रदेश सरकार द्वारा महाकाल लोक का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से करवाया गया था। महाकाल लोक परिसर में स्थापित मूर्तियां, सरोवर व अन्य नक्काशी के कार्य किये गये है और जिसे देखने के लिये साल भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन आ रहे है। महाकाल लोक को लेकर प्रदेश की शिवराज सरकार भी आये दिन दंभ भर रही और स्वयं की प्रशंसा करने से नहीं चूक रही। वहीं महाकाल लोक की तर्ज पर प्रदेश में अन्य और भी कई लोक बनाने की घोषणाऐं मुख्यमंत्री द्वारा की जा रही है।
लेकिन महाकाल लोक की सुदृढता और उसके कार्यो की विश्वसनीयता, तथा महाकाल लोक की जीवन अवधि को लेकर आज तब सवालियां निशान उठ खडे हुए जबकि आज नवतपा के चलते उज्जैन में दोपहर में अचानक आसमान में बादल छा गये और तेज आंधी चली तथा रिमझीम बारिश हुई। जिसके चलते महाकाल लोक में स्थापित सप्तऋषि और महादेव की स्थापित मूतियां आंधी के वेग से उड कर नीचे जमीन पर गिर कर खंडित हो गई। मूर्तियों के उड़ने से महाकाल लोक में मौजूद श्रद्धालुओं में अफरा तफरी का माहौल देखा गया।
सूत्रों की माने तो महाकाल लोक परिसर में स्थापित मूर्तियां काफी निम्न स्तर की बनाये जाने से ऐसी स्थिति निर्मित हुई है। भगवान की प्रतिमाएं वैसे तो पत्थर या अष्टधातु की निर्मित होना चाहिये, लेकिन यहां स्थापित मूर्तियां पोली और प्लास्टीक नुमा वस्तुओं से बनाई जाना प्रतित होता है। जिसके चलते महाकाल लोक के अस्तीत्व और उसके लंबे समय तक टीके रहने पर भी सवालिया निशान खडे होे गये है। मामले को लेकर प्रशासन को इसे गंभीरता से लेकर निर्माणाधिन एजेंसी पर जांच बैठाकर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाना चाहिये! आखिर ये देश के करोडों श्रद्धालुओं की आस्था का सवाल है।