लोगों को ईलाज नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण ईलाज हेतु उन्हे सिहोर के अलावा भोपाल तक भेजना पड रहा है। कथा स्थल पर अव्यस्था का आलम है, मंदिर कमेटी और स्थानिय प्रशासन में आपसी तालमेल का अभाव होने से प्रशासनिक अमले ने कोई व्यवस्थाओं की और ध्यान नहीं दिया। परिणाम स्वरूप पूरे सिहोर सहित भोपाल तक का रास्ता जाम पडा है, दो दिन पहले से ही रूद्राक्ष बांटने का काम प्रारंभ किया गया है लेकिन उसके बाद भी भीड इतनी ज्यादा है कि लोगों को संभाल पाना मुश्किल हो गया है। अव्यवस्थाओं के चलते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान का सिहोर जाने का कार्यक्रम निरस्त करना पडा।
कुबेरेश्वर धाम पर महाशिवरात्री तक इसी प्रकार की भीड निरंतर जारी रहने का अनुमान है एसे में लोगों को भारी परेशानीयों का सामना करना पड रहा है। पांडाल छोटा पड गया है गर्मी से लोगों का प्यास और भूख से भी बुरा हाल हो रहा है, कई बुजुर्ग लोगों की हालत खराब है तो कई लोग बच्चों को भी साथ ले आये है ऐसे में उनकी परेशानीयां और बड रही है। श्रद्धा और विश्वास के चलते लोग कुबेरेश्वर धाम तो पहूंच गये है लेकिन अब स्थितियों को देखकर उन्हे भारी दुख और तकलिफ हो रही है। इस प्रकार के आयोजनों को लेकर प्रशासन को भी ध्यान देने की आवश्यकता थी लेकिन उसके द्वारा इस और अनदेखी करने से स्थितियां और बिगड गई है।
यातायात पुलिस द्वारा भोपाल जाने वाले लोगों को एडवाईजरी जारी कर निर्देष दिये है कि वे सीहोर से होकर भोपाल की और यात्रा नहीं करें। इसके लिये यातायात विभाग ने अलग से यातायात रूट भी जारी किया है। ताकि जाम मेें फंसने से लोग बच सकें। कुबेरेश्वर धाम में आस्था का ऐसा कुंभ की किसी ने कल्पना नहीं की होगी। लेकिन अब यह आस्था ही अव्यवस्था में बदल गई है पुलिस के एक हजार जवान भी सारी व्यवस्थाओं को संभालने में नाकाफी पड गये है। प्रशासन को चाहिये की लोगों को कुबेरेश्वर धाम जाने से रोका जायें वहीं कुबरेष्वर धाम में एकत्रित लोगों को भी जल्दी से जल्दी वापस बहार निकाला जाये और उन्हे उनके गंतव्य स्थलों की और रवाना किया जाये ताकि और अधिक अव्यवस्था नहीं फैले अन्यथा इस बढती गर्मी में और अधिक लोगों के बीमार पड़ने और मौतों का आंकडा बढ़ने का खतरा मंडराता रहेगा जिसका जिम्मेदार कौन होगा।