भाजपा की विकास यात्रा बनी सरकारी यात्रा!


भोपाल।
मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार इन दिनों 5 फरवरी से 25 फरवरी तक प्रदेश भर में विकास यात्राऐं निकाल रही है और जगह-जगह अधिकारी, नेता विकास कार्यो के लिये फिते काट रहे है, शिलान्यास कर रहे है, पूरे प्रदेश मेें सरकारी धन का खुले आम सरकार द्वारा जिला प्रशासनों के माध्यम से उपयोग किया जा रहा है। इस चक्कर में कई अधिकारी नेता बन गए है और वे भी नेताओं के तरह ही भाषण बाजी कर रहे है। भाजपा की इन विकास यात्राओं पर कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष ने तो बकायदा भाजपा के प्रदेष अध्यक्ष को पत्र लिखकर ऐसे अधिकारीयों को भाजपा में भर्ती करने को कह दिया है। 

पन्ना कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा ने अमानगंज में विकास यात्रा के दौरान रात में एक जन सभा को संबोधित करते हुए कहां की आजादी का अमृत काल चल रहा है और 25 साल बाद सताब्दी साल मनाया जायेगा। प्रधानमंत्री जी का कहना है कि जब हम शताब्दी साल मनाये तब भी यही सरकार बनी रहे इसलिये सभी लोगों को कडी मेहनत कर अगले 25 सालों तक प्रदेश में इसी सरकार को बनाये रखना है। आपने मंच से मुख्यमंत्री के कामों की भी जमकर व खुलकर तारिफ की और चैथी बार सरकार बनाने के लिये लोगों से सरकार के साथ जमकर डटे रहने की अपिल की। पन्ना कलेक्टर के इस बयान के बाद नेता प्रतिपक्ष डां.गोविंद सिंह ने कलेक्टर के उक्त विडियों के सोशल मिडिया में वायरल होते ही भाजपा प्रदेषअध्यक्ष को पत्र लिखकर चुटकी लेते हुए कहां की पन्ना कलेक्टर को भाजपा में ही भर्ती कर लो। 

ज्ञातव्य है कि पूरे प्रदेश में भाजपा की विकास यात्राऐं निकाली जा रही है कई जगहों पर तो जन प्रतिनिधि नदारत है लेकिन अधिकारी बढ चढकर विकास यात्रा में भाग ले रहे है इसलिये यह लगने लगा है कि सरकार अपनी उपलब्धीयों को बताने के बजाय सरकारी अधिकारी अपने कामों को बता रहे है और नेताओं को स्थान इन अधिकारीयों और कर्मचारीयों ने ले लिया है इसका कितना फायदा विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिलेगा यह तो समय ही बतायेगा। लेकिन इतना जरूर है कि कई अधिकारीयों व कर्मचारियों के अपने नेता गुण विकसीत कर उन्हे प्रदर्शित करने का अवसर उन्हे जरूर मिल गया है। 

दूसरी और भाजपा की विकास यात्रा के जवाब में कांग्रेस हाथ से हाथ जोडो यात्राओं का आयोजन कर रही है लेकिन कांग्रेसी नेता भी भाजपा से पिछे नहीं है वे इन यात्राओं में दिखाई ही नहीं पड रहे है और हाथ जोडते हुए तो बिलल्कुल भी नहीं। जब चुनाव के पहले ही कांग्रेसी नेताओं को हाथ जोडने में कठिनाई महसूस हो रही है तो फिर चुनाव में वे क्या हाथ जोडकर वोट मांग पायेगें! 

प्रदेश मेें कांग्रेस के दिन भी पूरी तरह से अच्छे नहीं चल रहे है पहले मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर विवाद चला और कमलनाथ के विधानसभा चुनाव नहीं लडने की खबर सोशल मिडिया में किसी ने वायरल कर दी जिसके बाद से कांग्रेस इस सफाई देने में ही जुटी हुई है कि कमलनाथ की और से ऐसा बयान दिया ही नहीं है लेकिन तब तक देर हो गई और खबर प्रदेश मेें चर्चा बन गई।

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